कभी 3500 रुपए में किया करते थे नौकरी, panchayat web series ने इस एक्टर को दिला दी खास पहचान।

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दोस्तों आज के इस आर्टिकल में हम बात करेगें panchayat वेब सीरीज के उस कैरेक्टर की है।जिसको अपना मुकाम हासिल करने में 12 साल लग गए।इसी बीच उन्होंने 3500 रुपए में नौकरी भी की।इसके साथ-साथ रंग-मंचों पर भी अपना हुनर दिखाया।टीवी विज्ञापनों में भी काम किया लेकिन,अब भी सफलता इनसे कोसों दूर थी।लकिन तभी उनके जीवन में एक ऐसा मोड़ आता है,जिसने इनको रातों-रात सुपर स्टार बना दिया।जिनके नाम से मीमस बनने लगे।और इनके नाम पर बना मीम(Meme) लोगों की जुबान पर छाने लगे।यही नहीं सोशल मीडिया पर तो मानो इनके मीमस की जैसे बाढ़ ही आ गयी हो।जी हाँ, अब तो आप समझ ही गये होगें की हम किसकी बात कर रहे है।यदि हाँ तो ठीक,नहीं तो हम आपको बताते चले, कि हम बात कर रहे हैं panchayat वेब सीरीज के विनोद की यानी की अशोक पाठक की।तो आज के इस आर्टिकल में हम जानेगें की अशोक पाठक को यहां (panchayat) तक पहुंचने में किन-किन कठिनाइयों का सामना करना और किस प्रकार उन्हें panchayat वेब सीरीज में विनोद का रोल मिला।जिसने उनकी पूरी जिंदगी को ही बदल कर रख दिया।तो चलिए लिए शुरू करते हैं।

बिहार से हरियाणा में आगमन।

दोस्तों अशोक पाठक की कहानी का आरंभ होता है, फ़रीदाबाद(हरियाणा) के सारण गाँव से।जहां पर इनके पिता मेहनत मजदूरी यानि की काम ढूंढने के सिलसिले में हरियाणा आए। कुछ ही समय बाद इनके पिता को हेल्पर और फायरमैन जैसी नौकरी मिल गयी।वहां पर उनके पिता भट्टी में कोयला डालने का कार्य किया करते थे।काम मिलने के कुछ ही समय बाद में इनके पिताजी ने इनकी माता जी को भी अपने पास(फ़रीदाबाद) बुला लिया और अपनी नौकरी करने लगे।इसके कुछ समय बाद ही फरीदाबाद के सारण गांव में ही अशोक पाठक का जन्म हुआ।समय बीत जाने के साथ-साथ इनके पिताजी कुछ शिक्षित हुए और उन्होंने बोयलर अटेंडेंट का कोर्स किया।इसके बाद उनके पिता बोयलर अटेंडेंट बन गए और जिससे इनके पिताकी सैलरी में बढ़ोतरी हुई।जिससे इनके जीवन जीने का स्तर कुछ अच्छा होने लगा।

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पढ़ाई में मन न लगना।

अशोक पाठक की स्कूली शिक्षा के बारे में बात कीजिए तो,शुरु से ही इन्हें पढ़ाई-लिखाई में कोई खास दिलचस्पी नहीं थी।और यही वह कारण था कि यह गलत दोस्तों की संगती में रहने लगे, नौवीं कक्षा तक आते-आते यह हर प्रकार के नशे जैसे शराब,बीडी,गुटका आदि का सेवन करने लगे थे।इसी चक्कर में वह कई बार यह अपने पिता के द्वारा पकड़े भी गए तथा डांट के साथ-साथ कई बार इन्होने मार भी खाई।अशोक पाठक की इन्हीं आदतों के कारण इनके पिता परेशान रहने लगे ,साथ में इनके पिता इनके छोटे भाई जो कि बीमार चल रहे थे, उनकी बीमारी पर भी पैसा लग रहा था।इस कारण भी वे काफ़ी परेशान रहने लगे।और अब ये बातें अशोक पाठक को भी समझ में आने लगी थी,इसी कारण अशोक पाठक ने यह तय कर लिया था कि अब वे कुछ काम-धन्दा या नौकरी करेंगे, जिससे उनके घर की आजीविका चल सके।और इसी दौरान उन्होंने अपने चाचा के साथ में रुई (Cotton) बेचने का कार्य आरंभ कर दिया।समय के साथ-साथ इनके हालात बदलने लगे।इनके पिता की सैलरी में बढ़ोतरी होने लगी और कुछ ही समय बाद इनका पूरा परिवार फ़रीदाबाद छोड़कर हरियाणा के हिसार शहर में रहने लगा।

ग्रेजुएशन ने बदल दी जिंदगी

हिसार आने के बाद तक भी अशोक पाठक को अब तक यह नहीं पता था, कि अब उन्हें आगे क्या करना है।समय बीत जाने के साथ-साथ अशोक पाठक के नए दोस्त बनते गये और उन्होंने ही अशोक पाठक को ग्रेजुएशन करने के लिए कॉलेज में एडमिशन लेने के लिए प्रेरित किया। हालांकि अशोक पाठक को ग्रेजुएशन में एडमिशन लेने के लिए शिफ़ारिश का सहारा लेना पड़ा और इस आधार पर उनका हिसार के जाट कॉलेज में एडमिशन हो गया।अब यह वही दौर था, जिसने अशोक पाठक की पूरी जिंदगी को बदल दिया था।क्योंकि अशोक पाठक को गाने व फिल्में देखने का बहुत अधिक शौक था।और इन्हीं दिनों में अशोक पाठक को उन्हीं के कॉलेज के एक मित्र ने कॉलेज में होने वाले यूथ फेस्टिवल(थियेटर ड्रामा) में भाग लेने के लिए प्रेरित किया।हालांकि इससे पहले अशोक पाठक को थियेटर से संबंधित कोई भी जानकारी नही थी।अपने मित्र के कहने पर अशोक पाठक यूथ फेस्टिवल के लिए ऑडिशन देने के लिए तैयार हो गए।अगले ही दिन जब कॉलेज में ऑडिशन हुआ तो अशोक पाठक को 60 बच्चों में से सेलेक्ट कर दिया गया।हालांकि इनका चुनाव एक छोटे रोल के लिए किया गया था, इस रोल से अशोक पाठक अत्यधिक खुश तो नहीं थे, लेकिन बावजूद इसके वह यह रोल करने के लिए तैयार हो गए। लेकिन इस समय उनकी किस्मत इन पर पूरी मेहरबान थी और हुआ कुछ यूं कि जिस व्यक्ति को लीड रोल के लिए सिलेक्ट किया गया था, उसने लीड रोल करने से मना कर दिया।जब इस बात का पता शो के डायरेक्टर को चला तब उन्होंने इस रोल को सिलेक्टेड बच्चों में से ही किसी अन्य को देने के लिए कहा।जब अन्य बच्चों से इस रोल को करने के बारे में पूछा गया तब अशोक पाठक ने इस रोल के लिए हां कह दिया।

3500 रुपए में करनी पड़ी नौकरी।

डायरेक्टर द्वारा लीड रोल के ऑडिशन के बाद अशोक पाठक को लीड रोल के लिए चुन लिया गया। इसके परिणाम स्वरुप यह रहा की पहली बार कल्चरल प्रोग्राम में जाट कॉलेज ने अशोक पाठक की बदौलत जोनल, इंटर इंटरनल और नेशनल तीनो स्तरों पर सफलता प्राप्त की।इसके बाद अशोक पाठक की जिंदगी ने एक नया मोड़ ले लिया था।क्योंकि इस सफलता के बाद में उनकी तस्वीरें अखबारों में छपना कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी में 4 वर्षों तक कल्चरल एक्टिविटी में एक्टर रहना, लाइब्रेरी में समय देना आदि उनके जीवन का एक हिस्सा बन चुके थे।लेकिन अशोक पाठक को तब सदमा लगा जब इन्होनें NSD (National School Of Drama)में एडमिशन लेना चाह लकिन NSD में इनका सिलेक्शन नहीं हुआ।इसके बाद तो मानो यह अंदर से टूट चुके थे ,क्योंकि दो यूनिवर्सिटी में बेस्ट एक्टर तथा और कई अन्य अवार्ड प्राप्त करने के बावजूद भी इनका सिलेक्शन NSD में नहीं हुआ था।हालांकि उनके पिताजी के द्वारा एक्टिंग के अन्य स्कूल में एडमिशन लेने के लिए कहा लेकर पैसों की कमी के कारण ऐसा ना हो सका और कॉलेज प्रिंसिपल द्वारा इन्हें कॉलेज ना आने की छूट मिलने पर आखिरकार इन्होनें Master of Arts में एडमिशन ले लिया।और इसके साथ-साथ इन्होनें 3500 रुपए में जिंदल इंडस्ट्री में water treatment की नौकरी पकड ली।जहां पर इन्हें केमिकल से भरी हुई बोतल को डिस्पैच करना पड़ता था।यहां 1 साल नौकरी करने के बाद में इन्होंने दो बार वर्ष 2006 और 2007 में NSD के लिए आवेदन किया, लेकिन दोनों बार ही इन्हें सफलता हाथ लगी।

 एक महीने ही में बन गए लखपति।

NSD में सिलेक्शन न होने पर किसी प्रकार से अशोक पाठक को भारतेंदु नाटक अकादमी लखनऊ के बारे में पाता चला।जिसके बाद इन्होनें ने भारतेंदु नाटक अकादमी के लिया आवेदन किया।लेकिन इस बार किस्मत उनके साथ थी और भारतेंदु नाटक अकादमी में अशोक पाठक को एडमिशन मिल गया।इसके बाद इन्होंने वहां पर लगभग 2 वर्षों तक जमकर मेहनत की और टॉप किया।इसके बाद में अशोक पाठक ने यहां 1 साल की इंटर्नशिप की भी पूरी की।इसके बाद बारी थी अपने सपने पूरे करने की यानि की मुंबई आने की और एक्टर बने की, लेकिन इसके लिए उनके पास इतने रुपए नही थे की यह मुंबई आ सके।अब इसके लिए अशोक पाठक ने हिसार में ही रहकर कमर्शियल थिएटर किया और वहां से इन्हें चालीस-पचास(40-50 हजार) रुपए प्राप्त हुए जिनकी बदौलत यह मुंबई चले गए।मुंबई आने के एक-दो दिन बाद  ही इन्हें एक बड़े चैनल की तरफ से एड(ADS) प्राप्त हुआ।जिसके बदले इन्हें 2500 रूपये मिले।इसके कुछ ही दिनों बाद इन्हें डोमिनोज की तरफ से एड मिली जो की 2 दिन का कार्य था।इस एड के लिए इन्हें एक दिन के 70 हजार रुपए दिए गए।अब मुंबई आए इन्हें केवल एक ही महीना हुआ था, कि एक ही महीने में ये लखपति बन गए थे।हालांकि इसके बाद इन्हें एक फिल्म बिट्टू बॉस में भी काम करने का अवसर मिला।लेकिन फिल्म पूरी तरह से असफल रही।इसके बाद लगातार इन्हें 2 साल तक कोई भी कार्य नहीं मिला और यह अपने छोटे-मोटे ऐड करने लगे।इसके बाद सन 2016 से लेकर 2020 तक इन्होंने पंजाबी फिल्म इंडस्ट्री में भी कार्य किया।

panchayat वेब सीरीज से मिली ख़ास पहचान

इन सब फिल्मों, एड और ड्रामा प्रोग्राम के बावजूद भी अशोक पाठक को कोई खास पहचान नहीं मिल पा रही थी।लेकिन तभी अशोक पाठक को panchayat-2 वेब सीरीज में कार्य करने का मौका मिलाता है। एक इंटरव्यू के दौरान अशोक पाठक ने बताया कि उन्हें कास्टिंग डायरेक्टर(जो की इनका दोस्त है) से फोन आया और कहा की panchayat वेब सीरीज में एक छोटा रोल है क्या आप करना चाहते हो। और अशोक पाठक ने बताया की उन्हें केवल एक ही दिन के लिए इस वेब सीरीज(panchayat) में शामिल किया गया था।हाँलाकी इसके लिए भी अशोक पाठक ने ऑडिशन दिया, जिसके बाद में ही सिलेक्ट किया गया था।वहीं अशोक पाठक भी इस रोल को करने के लिए उतने प्रसन्न नजर नहीं आ रहे थे।क्योंकि वह पहले भी इस प्रकार के काफ़ी रोल कर चुके थे।अशोक पाठक अब कोई सीरियस रोल करना चाह रहे थे और साथ में वे यह भी सोच रहे थे,कि यह रोल भी पहले के रोल जैसा कोई छोटा-मोटा रोल ही होगा।और यही वह कारण था, कि वह दो-तीन दिन तक panchayat के ऑडिशन को टालते रहे। अशोक पाठक ने बताया की कास्टिंग डायरेक्टर उसका दोस्त था।उनकों मैनें (अशोक पाठक ने) ऑडिशन का वीडियो भेजा और यह वीडियो panchayat की टीम को पसंद आया और उन्होंने इस रोल के लिए मुझे सिलेक्ट कर लिया।“देख रहे हो विनोद” panchayat वेब सीरीज का यही वह डायलॉग है ,जिसने अशोक पाठक की पूरी जिंदगी को बदल दिया।

 panchayat-3 में भी दिखा बिनोद का जलवा

अभी इसी साल यानी 28 मई 2024 को panchayat वेब सीरीज का तीसरा सीजन भी रिलीज किया गया था।जिसमें अशोक पाठक को नेगेटिव रोल में दिखाया गया है, जो की वह चाह भी रहे थे।panchayat-3 में भी अशोक पाठक ने काफी अच्छा रोल निभाया है।और इसमें इनका एक और डायलॉग की “कुत्ता मार कर खाने से तो बीपी बढ़ ही ना जाएगा भईया” भी लोगों को काफी पसंद आ रहा है। इसके साथ-साथ panchayat-3 में अशोक पाठक उप-प्रधान बनने के लिए भी कड़ी मस्कत करते हुए नजर आ रहे हैं।हालंकि की यह तो panchayat सीजन-4 ही तय कर पाएगा कि वह उप-प्रधान बन पाएंगे या नहीं।लेकिन panchayat वेब सीरीज में विनोद को दर्शकों द्वारा बखूबी प्यार दिया जा रहा है।तो आज के इस आर्टिकल में बस इतना ही और हम आगे यह उम्मीद करते हैं, कि panchayat 4 में और अन्य फिल्मों और वेब सीरीज में भी अशोक पाठक हमें इसी तरह और अच्छे अभिनय करते हुए नजर आए।

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