हरियाणा विधानसभा चुनाव की तारीखों में परिवर्तन, अब 1 अक्टूबर को नहीं बल्कि इस दिन डाले जाएगें वोट।

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आप को बता दे की हरियाणा विधानसभा चुनाव की तारीखों में परिवर्तन किया कर दिया गया है।इसके साथ-साथ चुनाव आयोग ने हरियाणा विधानसभा चुनावों के लिए नई तारीख का भी ऐलान कर दिया है।यह फैसला चुनाव आयोग द्वारा मीटिंग के बाद में लिया गया है।आपको बता दे कि पहले चुनाव आयोग ने हरियाणा में विधानसभा चुनाव के लिए 1 अक्टूबर 2024 का दिन मुकर्र किया था, लेकिन इन दिनों में हरियाणा में लगातार 5-6 दिन की छुटियाँ है और इसी के मध्य नजर चुनाव आयोग ने हरियाणा विधानसभा चुनाव की तारीख में बदलाव किया है।चुनाव आयोग ने अब हरियाणा विधानसभा चुनाव की तारीख को 4 दिन आगे बढ़ते हुए 5 अक्टूबर 2024 के दिन वोटिंग करवाने का फैसला लिया है।यानी कि अब हरियाणा में विधानसभा चुनाव 5 अक्टूबर 2024 को होंगे। और 8 अक्टूबर 2024 को हरियाणा विधानसभा चुनाव के नतीजे आएगें ।

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इसलिए हुआ हरियाणा विधानसभा चुनाव की तारीखों में परिवर्तन।

आपको बता दे कि चुनाव आयोग ने पहले हरियाणा में 1 अक्टूबर 2024 को वोटिंग का दिन निश्चित किया था,लेकिन पिछले हफ्ते हरियाणा बीजेपी के अध्यक्ष ने चुनाव आयोग को एक पत्र लिखा था।जिसमें उन्होंने कहा था कि- हरियाणा में विधानसभा चुनाव से 2 दिन पहले और 2 दिन बाद में अवकाश है।इसीलिए कुछ लोग 1 दिन का आकस्मिक अवकाश लेकर बाहर घूमने जा सकते हैं और जिससे हरियाणा में विधानसभा चुनाव प्रभावित होगा।यही वह कारण है कि चुनाव आयोग ने हरियाणा विधानसभा चुनाव की तारीखों में परिवर्तन करते हुए,अब हरियाणा विधानसभा चुनावों की नयी तारीख 5 अक्टूबर 2024 रखी है।

चुनाव आयोग ने भी माना प्रभावित हो सकती है, वोटिंग।

चुनाव आयोग ने भी हरियाणा विधानसभा चुनाव की तारीखों में परिवर्तन के इस कारण को सही पाया है।चुनाव आयोग ने भी यह माना है,की चुनाव प्रभावित होने का यह एक कारण हो सकता है।इसके साथ-साथ चुनाव आयोग ने लोकसभा चुनाव के बाद हुई अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था की- लोकसभा चुनाव से हमने दो चीज सीखी है,पहली की चुनाव पर मौसम का अवश्य असर पड़ता है।चाहे सर्दी हो या गर्मी वोटिंग प्रतिशत में परिवर्तन आता है।इसके साथ-साथ चुनाव आयोग ने यह भी कहा की- कभी भी छुट्टियों के दिनों में चुनाव नहीं करवाए जाने चाहिए।क्योंकि छुट्टियों में लोग बाहर घूमने चले जाते हैं और यही वह कारण है जिससे वोटिंग प्रतिशत में कमी आती है।

वोटिंग सब का अधिकार।

आपको बता दे की हरियाणा के विधानसभा चुनाव चार दिन आगे होने का एक मुख्य कारण 2 अक्टूबर को असोज अमावस्या का त्यौहार भी है।इस त्यौहार को बिश्नोई समाज के लोग मनाते हैं।आपको बता दे की असोज अमावस्या को बिश्नोई धर्म के गुरु श्री जंभेश्वर की याद में बिश्नोई धर्म के लोग गुरु श्री जंभेश्वर के पैतृक गांव मुकाम जाते हैं।और उनकी याद में यह त्यौहार मनाते हैं।और यही वह कारण है की फतेहाबाद, सिरसा, हिसार,के लोग इस दिन भारी संख्या में मुकाम(राजस्थान) में रहेंगे और वह अपने मत का प्रयोग नहीं कर पाएंगे।वहीं इस संबंध में अखिल भारतीय बिश्नोई महासभा ने भी चुनाव आयोग को पत्र लिखकर 1 अक्टूबर के विधानसभा चुनाव को आगे करवाने की मांग की थी।वहीं चुनाव आयोग का कहना है-की वोटिंग करना सब का अधिकार है और इस अधिकार से हम किसी को वंचित नहीं कर सकते।और यह भी एक कारण है कि हरियाणा विधानसभा चुनाव की तारीखों में परिवर्तन किया गया है।अब हरियाणा में विधानसभा चुनाव 1 अक्टूबर की बजाय 5 अक्टूबर को होगा।

इन राज्यों में पहले भी बदली जा चुकी है, चुनावों की तारीखें।

चुनाव आयोग ने कहा है कि- हरियाणा विधानसभा चुनाव की तारीखों में परिवर्तन का यह कोई नया मामला नहीं है।इससे पहले भी चुनाव आयोग ने कई अन्य राज्यों में जिनमें चुनावों की तरीकों का ऐलान करने के बाद में भी चुनावों की तारीखों में बदलाव किए गये थे।चुनाव आयोग ने कहा कि- वर्ष 2012 में यूपी इलेक्शन के दौरान जब चुनाव आयोग को पता चला कि चुनाव वाले दिन मुसलमानों का कोई त्यौहार है।जिसके बाद में मुसलमान संगठनों ने भी चुनाव को आगे करवाने की मांग की थी और जिसे स्वीकार करते हुए वहां का चुनाव भी आगे किया गया था।इसके साथ-साथ वर्ष 2022 में भी मणिपुर में चुनाव की तारीखों में परिवर्तन किया गया था।चुनाव आयोग ने बताया कि मणिपुर में ईसाइयों की संख्या ज्यादा है और जिस दिन मतदान था।उसे दिन रविवार का दिन था,इस दिन ज्यादातर ईसाई प्रेयर में जाते हैं और जिसके चलते चुनाव को आगे के लिए टालना पड़ा था।इसके साथ-साथ जब राजस्थान में भी चुनाव का शेड्यूल तैयार किया गया था, तो जिस दिन चुनाव था उस दिन एकादशी का त्यौहार था।इसके बाद में चुनाव आयोग को चुनाव की तारीकों को रीशेड्यूल करना पड़ा था।इसके साथ-साथ पंजाब के पिछले विधानसभा चुनाव में भी वोटिंग के शेड्यूल को रीशेड्यूल करना पढ़ा था।क्योंकि जिस दिन पंजाब में वोटिंग होनी थी, उसे दिन गुरु रविदास जयंती थी और इसी कारण वहां भी चुनाव को आगे किया गया था।

 

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