Baba Ram Rahim को हरियाणा सरकार ने एक बार फिर पैरोल के रूप में बड़ी राहत प्रदान की है।इस बार हरियाणा सरकार ने बाबा राम रहीम को 50 दिन की पैरोल प्रदान की है।जो की इस साल की पहली व अन्य पैरोल के मुकाबले में सबसे बड़ी पैरोल है।वहीं यदि पिछले 4 सालों की बात की जाए तो इस बार Baba Ram Rahim को 9वीं बार पैरोल मिली है।इससे पहले भी बाबा कई बार फरलो पर भी जेल से बाहर आ चुके हैं। वहीं इन सब को मिलाकर देखा जाए तो इस बार Baba Ram Rahim 13वीं बार जेल से बाहर आये है।बताते चले की शुक्रवार शाम 5:20 पर Baba Ram Rahim को सुनारिया जेल सेबाहर निकाला और रोहतक पुलिस ने कड़ी सुरक्षा में उत्तर प्रदेश लिए बाबा को रवाना किया।
- 1 पैरोल के दिनों में यहां रहेंगे Baba Ram Rahim।
- 2 इससे पहले भी कई बार मिल चुकी है Baba Ram Rahim को पैरोल।
- 3 Baba Ram Rahim कब-कब आए जेल से बाहर।
- 4 लाइव आकर भक्तों को दिया संदेश
- 5 Baba Ram Rahim का विवादों से है ,पुराना नाता।
- 6 भक्तों में बाबा के प्रति पहले जैसी आस्था।
- 7 चुनाव के मध्य नजर भी काफी अहम है पेरोल।
- 8 हरियाणा के मुख्यमंत्री सहित अन्य नेताओं को भी देनी पड़ती है सफाई।
पैरोल के दिनों में यहां रहेंगे Baba Ram Rahim।
Baba Ram Rahim को मिली 50 दिन की पैरोल में Baba Ram Rahim को उत्तर प्रदेश स्थित बागपत आश्रम में रहना होगा।सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार बाबा राम रहीम को इस बार भी अपने भक्तों से मिलने पर पाबंदी रहेगी।वहीं अन्य पैरोल की बात करें तो Baba Ram Rahim को जितनी भी बार पैरोल मिली है,वह उत्तर प्रदेश स्थित बागपत आश्रम की ही मिली है।
इससे पहले भी कई बार मिल चुकी है Baba Ram Rahim को पैरोल।
हालांकि Baba Ram Rahim को पैरोल देने का यह हरियाणा सरकार का कोई नया फैसला नहीं है, बल्कि इससे पहले भी हरियाणा सरकार 8 बार बाबा राम रहीम को पैरोल दे चुकी है।वहीं इस बार की बात की जाए तो पिछले 4 सालों में बाबा राम रहीम को 9वीं बार पैरोल मिली है।इससे पहले कई बार बाबा राम रहीम को फरलों भी दी जा चुकी है।वहीं इस बार की पैरोल और फरलों को मिला दिया जाए तो इस बार बाबा राम रहीम 13वीं बार जेल से बाहर आए।
Baba Ram Rahim कब-कब आए जेल से बाहर।
हरियाणा सरकार ने 21 नवम्बर 2023 को भी बाबा राम रहीम को 21 दिन की फरलो प्रदान की थी। इन 21 दिनों के दौरान बाबा राम रहीम को यूपी के बागपत आश्रम में ही रहने की इजाज़त मिली थी।वहीं 24 अक्टूबर 2020 को बाबा राम रहीम को पहली बार 24 घंटे के लिए पैरोल पर लाया गया था। 24 अक्टूबर 2020 की पेरोल को छोडकर अन्य सभी पेरोल व फ़रलो के दौरान वह बागपत के आश्रम में रहे तथा वहीं से ही ऑनलाइन माध्यम से सत्संग किये।वही साल 2023 की बात की जाए तो बाबा राम रहीम को कुल 91 दिनों की पैरोल दी गई थी।
अब एक नजर बाबा कब-कब आए जेल से बाहर तथा कहाँ रहे।
कब-कब मिली पेरोल/फ़रलो | पैरोल/फरलो के दिन | कहाँ-कहाँ रहे |
24 अक्टूबर 2020 | 24 घंटे | गुरुग्राम (हरियाणा) |
21 जून 2021 | 48 घंटे की कस्टीडी | गुरुग्राम (हरियाणा) |
07 फ़रवरी 2022 | 21 की फरलो | गुरुग्राम (हरियाणा) |
17 जून 2022 | 30 दिन की पैरोल | बागपत (उत्तर प्रदेश) |
15 अक्टूबर 2022 | 40 दिन की पैरोल | बागपत (उत्तर प्रदेश) |
21 जनवरी 2023 | 40 दिन की पैरोल | बागपत (उत्तर प्रदेश) |
20 जुलाई 2023 | 30 दिन की पैरोल | बागपत (उत्तर प्रदेश) |
21 नवम्बर 2023 | 21 दिन की फरलो | बागपत (उत्तर प्रदेश) |
19 जनवरी 2024 | 50 दिन की पैरोल | बागपत (उत्तर प्रदेश) |
लाइव आकर भक्तों को दिया संदेश
मिली जानकारी के अनुसार शुक्रवार शाम 5:20 पर बाबा राम रहीम को सुनरिया जेल से बाहर निकाला गया था। इसके बाद बाबा राम रहीम 7:20 पर उत्तर प्रदेश स्थित अपने बागपत आश्रम में पहुंचे।उनके साथ उनकी बेटी हनीप्रीत व परिवार के अन्य सदस्य भी मौजूद थे।बागपत आश्रम में आते ही सबसे पहले राम रहीम यूट्यूब प्लेटफार्म के माध्यम से अपने भक्तों को संबोधित किया।जिसमें उन्होंने कहा कि-प्यारी साध – संगत हम आपके दर्शन करने के लिए जहां हाजिर हुए हैं।साथ में उन्होंने कहा कि- हम हर बार की तरह इस बार भी आपको यह कह रहे हैं, कि- आपको यहाँ UP स्थित आश्रम में नहीं आना।जैसा भी आपके यहां के सेवादार वह जिम्मेवार कहते हैं, वैसा ही आपको करना है।साथ में उन्होंने अपने गुरु शाह सतनाम सिंह के जन्म दिवस की बधाई भी दी।साथ में उन्होंने 22 जनवरी को अयोध्या में होने वाली राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के बारे में भी अपने भक्तों को शामिल होने को कहा है।उन्होंने कहा कि- हम सब राम की ही संतान है और राम मंदिर के इस अवसर पर इस दिन को दीपावली के रूप में मनाये। साथ में उन्होंने अपनी संगत को आशीर्वाद भी दिया।
Baba Ram Rahim का विवादों से है ,पुराना नाता।
बाबा राम रहीम के बारे में बात की जाए तो बाबा का विवादों से काफी पुराना लता रहा है।वर्तमान समय में भी इन्हें दो साध्वियों से दुष्कर्म के मामले में तथा पत्रकार रामचंद्र छत्रपति की हत्या की साजिस के मामले में सीबीआई कोर्ट ने दोषी पाया था।जिसके तहत इन्हें कोर्ट द्वारा आजीवन कारावास की सजा भी सुनाई गई थी।
भक्तों में बाबा के प्रति पहले जैसी आस्था।
हालांकि सीबीआई कोर्ट द्वारा बाबा को दो मामलों में दोषी पाया गया हो लेकिन, बाबा के भक्तों में बाबा को लेकर अभी पहले जैसी ही आस्था है।इस बात का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है,कि बाबा के जन्मदिन पर आने वाली लाखों की संख्या यह साबित करती है।की बाबा को मानने वाले लोगों में बाबा के प्रति अभी भी वैसी ही आस्था है, जैसी की सजा से पहले। साथ में इस बात से भी यह अंदाजा लगाया जा सकता है की जितनी बार भी बाबा बागपत के आश्रम में आए हैं।तब-तब भी लाइव आकर अपने भक्तों को उत्तर प्रदेश आश्रम में ना आकर अपने अपने नजदीकी आश्रम में प्रोग्राम में शामिल होने को कहा है।
चुनाव के मध्य नजर भी काफी अहम है पेरोल।
जब-जब देश में चुनाव आता है तब तब बाबा राम रहीम का नाम भी साथ में जरूर आता है। हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं क्योंकि विभिन्न व्यक्ति पार्टियों द्वारा भी हरियाणा सरकार पर यह आरोप लगाता रहा है कि- जब-जब देश में चुनाव आता है तब तब बाबा को हरियाणा सरकार द्वारा पैरोल दी जाती है।हालांकि चुनाव क्षेत्र की बात करें तो इसमें भी बाबा राम रहीम का काफी दबदबा माना जाता है खासकर हरियाणा, पंजाब राजस्थान, हिमाचल, उत्तर प्रदेश आदि राज्यों में बाबा को चाहने वाले समर्थको की काफी लंबी लाइन है।हालांकि डेरा प्रमुख काफी बार अपने कार्यक्रमों में यह कह चुके हैं, की राजनीति से उनका कोई लेना-देना नहीं है। जबकि पैरोल हासिल करना एक कैदी का हक होता है।
हरियाणा के मुख्यमंत्री सहित अन्य नेताओं को भी देनी पड़ती है सफाई।
हालांकि पैरोल के मामले में जब भी बाबा राम रहीम का जिक्र आता है।तब तब हरियाणा सरकार तथा इसके मंत्रियों का अवश्य जिक्र आता है।वही पीछे कुछ दिन पहले एक कार्यक्रम में हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर से बाबा राम रहीम को चुनावों के दौरान पैरोल देने के विषय में पूछे गए प्रश्न पूछा गया था। जिसके जबाब में हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा कि-बाबा राम रहीम के विषय में मुझे कुछ नहीं कहना, उनकी पैरोल में मेरा कोई रोल नहीं है।उन्होंने कहा कि- यदि कोई दोषी है तो उसका फैसला कोर्ट को करना होता है। जो कोई भी दोष करता है उसे कोर्ट सजा देता है।सजा के बाद में किसी कैदी को पैरोल देना या ना देना यह जेल मैनुअल का कार्य है।इसमें हरियाणा सरकार का कोई लेना-देना नहीं है।