पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने हरियाणा की गठबंधन सरकार को बड़ा झटका दिया है। हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार द्वारा निजी क्षेत्र की नौकरियों में दिए गए 75 फीसदी आरक्षण के प्रावधान को रद्द कर दिया है। यह फैसला 17 नवंबर 2023 को आया।
इस पूरे मामले पर कोर्ट में क्या कहा।
हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार के आरक्षण देने वाले कानून के मुद्दे पर अपना फैसला पिछले महीने सुरक्षित रख लिया था।
न्यायमूर्ति जीएस संधवालिया और न्यायमूर्ति हरप्रीत कौर जीवन की खंडपीठ ने राज्य के कई औद्योगिक निकायों की सुनवाई के बाद फैसला सुनाया, जिन्होंने हरियाणा सरकार द्वारा बनाए गए कानून की संवैधानिक वैधता पर सवाल उठाया था।
पीठ ने 19 अक्टूबर को कहा था कि दलीलें सुनी जा चुकी हैं और फैसला सुरक्षित रख लिया गया है। यह दूसरी बार था जब उच्च न्यायालय ने मामले में अपना आदेश सुरक्षित रखा था।
17 मार्च 2022 को हाई कोर्ट ने उस कानून का विरोध और बचाव करने वाले सभी पक्षों को सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था, जिससे निजी क्षेत्र में आरक्षण को लेकर बहस शुरू हो गई थी।
इसी साल अप्रैल में हाई कोर्ट ने मामले की दोबारा सुनवाई शुरू की। अब करीब छह महीने तक दोबारा मामले की सुनवाई के बाद फैसला आया है।
क्या है यह पूरा मामला।
हरियाणा सरकार द्वारा निजी क्षेत्र की नौकरियों में दिए गए 75 फीसदी आरक्षण के प्रावधान किया था। लेकिन इंडस्ट्री एसोसिएशन ने इस फैसले का विरोध किया तथा इंडस्ट्री एसोसिएशन ने तर्क दिया की अधिनियम का उद्देश्य निजी रोजगार में आरक्षण को प्रभावी ढंग से लागू करना है। और जिससे सरकार द्वारा व्यवसाय और व्यापार को चलाने वाले मौलिक अधिकारों में हनन होगा।
क्या है यह विधेय जाने।
हरियाणा सरकार द्वारा यह अधिनियम 2020 में राज्यसभा में पेश किया गया था। जिसका मुख्य उद्देश्य “कम वेतन वाली नौकरियों” में स्थानीय उम्मीदवारों को प्राथमिकता देना था। जिससे सामाजिक आर्थिक और पर्यावरण दृष्टि से भी आमजन को फ़ायदा हो सके।